हम इस वक्त चौमास के मध्य में हैं। यह एक कुमाऊंनी मुहावरे के अनुसार ‘सतझड़ लगने’ (सात दिनों की लगातार बारिश) का समय है। जाहिर है हमसे एक पीढ़ी पहले जरूर लंबी बारिशें होती रही होंगी वरना यह मुहावरा ही क्यों बनता? कोई पचास-चालीस साल पहले तक पहाड़ों से मैदानों और गांवों से शहरों की ओर इस तरह पलायन नहीं हुआ था। परिवार छोटे थे। गांवों की छोटी-छोटी खेतियां भी उन्हें पालने में सक्....
