चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर की चार कविताएं

पानी ही

इधर देश में लंबे चले चुनाव में
घर से बाहर तक
मुझे सबसे ज्यादा फिक्र हुई तो---
पानी को लेकर
सब जगह दांव पर लगा दिखा
पानी ही
फिर भी सब सोख रहे थे
ज्यादा-ज्यादा
पानी ही
बेवजह गांवों की गलियों से लेकर
शहरों की कॉलोनियों तक में
किया जा रहा था नष्ट
पानी ही
ऐसे में पानी को 
पानी की तरह देखना
रह गया था एक दुर्लभ द....

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