हरे प्रकाश उपाध्याय

हरे प्रकाश उपाध्याय की दो कविताएं

बहुत काम है

यह भी काम है
और वह भी काम है!

काम है
इतना काम है
कि सुबह काम है शाम काम है
पूरे दिन-दोपहर काम है
हर पल काम है
यहां तक कि शाम के बाद भी काम है
पूरी रात काम है
सपने में भी काम है

जागने का काम है
जगाने का काम है
तो सोना भी काम है

जगकर काम है
सोकर काम है
चलकर काम है
....

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