‘विहान’ और ‘नई कहानियां’ के रास्ते कमलेश्वर का ठिकाना ‘सारिका’ बनी। यह सन् 67 की बात थी। बड़े घराने की पत्रिका होने के कारण ‘सारिका’ को आर्थिक संबल प्राप्त था। नई कहानी आंदोलन का प्रतिनिधित्व और उसके बाद ‘नई कहानियां’ पत्रिका की बागडोर संभालने के चलते कमलेश्वर अथाह अनुभव के स्वामी भी बने। उन्हें मालूम था कि किस रास्ते हिंदी कहानी को लेकर जाना है। कमलेश्....
