इतिहास से गुजर कर आज हम इतिहास के बाहर खड़े हैं और पुनः बाहर से अंदर जाने की चेष्टा कर रहें हैं। यह सच है कि समय का आकलन समय से बाहर निकलने के बाद ही किया जा सकता है। जहां तक बात है भारत की तो अपने समय को रेखांकित करने वाली वे तमाम गतिविधियां जिन्होंने भारत को विशाल बनाने में योगदान दिया है, आज साक्ष्य बनकर अपने अतीत का गान कर रही हैं।
भारत के इतिहास में मानव सभ्यता के वि....
