आशीष दशोत्तर

एक किताब में फूल को जितनी चाहिए जगह

कविता कल्पना नहीं हकीकत है। रचना प्रक्रिया हकीकत की जमीन पर होती है। यह सफर बहुत कड़ा होता है। इस सफर में जो अपनी राह पर चलते हुए मंजिल को पाने की जिद रखता है वह एक दिन कविता को छूकर देख पाता है।
वरिष्ठ कवि श्री राजेंद्र उपाध्याय भी कविता को छूकर उसे महसूस करने वाले कवि हैं। वे अपनी आंखों से एक ऐसे संसार की कल्पना करते हैं, जहां समानता है, प्रेम है, सद्भाव है, आपसी संबंध है....

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