साहित्यकार का लक्ष्य केवल महफिल सजाना नहीं है
‘साहित्यकार का लक्ष्य केवल महफिल सजाना और मनोरंजन का सामान भर जुटाना नहीं है। वह देश भक्ति और राजनीति के पीछे चलने वाली सच्चाई भी नहीं, बल्कि उसके आगे मशाल दिखाती हुई सच्चाई है। जब साहित्य जीवन और जगत के यथार्थ के इतने करीब आ जाएगा तो स्वाभाविक है कि हमारी दृष्टि भी बदले। इसलिए प्रेमचंद कहते हैं कि....
