शैलेंद्र चौहान

वंचित वर्ग का भारत के साहित्य में प्रभावी हस्तक्षेप

वंचित वर्ग का भारत के साहित्य में प्रभावी हस्तक्षेप
1970-80 के दशक में पूरे देशभर में, खास तौर से महाराष्ट्र में जाति विरोधी आंदोलन चरम पर था, जिसमें मराठी दलित साहित्य और उसके साहित्यकार एक बड़ी भूमिका निभा रहे थे। दलित पैंथर मूवमेंट में शामिल कवि नामदेव धसाल, नारायण सुर्वे, बाबूराव बागुल, अण्णा भाऊ साठे, बेबी कांबले या उर्मिला पवार, साहित्यिक आंदोलन को और आंदोलन साहित्य....

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