शिशु ही तो शब्द हैं
पिता जब लेते हैं कंधे पर
पहाड़ के उस पार की धरती, आसमान,
सागर दिखता है
अभी तक मैंने सिर्फ और सिर्फ शिशु
और शब्द से प्रेम किया है
क्योंकि यही दोनों सुखकर्ता और दुखहर्ता हैं
मैंने जब भी किसी शिशु को गोद लिया है
मैंने महसूस किया है
कि मैंने अपने समय का सबसे ताकतवर शब्द उठा....
