ए. अरविंदाक्षन

विश्वनाथ त्रिपाठी का तुलसी-चिंतन

काव्य की नैतिकता विषय सापेक्षता से अधिक उसमें निहित जीवनोन्मुखता के कारण सघन होती है। इसी जीवनोन्मुखता से काव्य-विषय सार्थक एवं कालजयी हो जाता है। कई शताब्दियों के बाद भी यदि कोई काव्य पूरे समाज पर अपना प्रभाव छोड़ता है तो उसके पीछे एक गहन नैतिक बोध क्रियाशील रहता है। तुलसीदास के काव्यों का नैतिक बोध हमें निरंतर प्रेरित करता रहता है। उनमें निहित उन्नत आदर्श एवं उन्नत....

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