राजेंद्र गुप्ता

मेरा सौभाग्य है कि असग़र मेरे दोस्त हैं

असग़र साहब के करीब आने का मौका मुझे तब मिला, जब उनके लिखे धारावाहिक ‘बूंद-बूंद’ का हिस्सा बना। यह 1985 की बात है। उसी साल उनके लेखन पर एक धारावाहिक बना रहे थे गुलशन सचदेवा। दूरदर्शन के लिए तेरह एपिसोड बने थे। उस सीरियल के शूटिंग के दौरान मुझे कास्ट किया। मध्यप्रदेश में उसकी शूटिंग चल रही थी। उसी शूटिंग में असग़र साहब आए थे। पहली बार उनसे मुलाकात-सी मुलाकात हुई।
पहली बा....

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