‘तुमने उस कुत्ते का नाम क्यों डलवाया?’ सुखिया दनदनायी थी। हाथ की बाल्टी पटक दी थी और सामने तनकर खड़ी हो गई थी। दोनों हाथ कमर पर थे। चेहरे पर गुस्सा भभक रहा था।
‘अब यार, उन लोगों ने पूछा तो बता दिया!’
कासू की आवाज में नरमी थी। यही होता था। सुखिया जब कभी किसी बात को लेकर भड़कती कासू या तो चुप लगा जाता या इधर-उधर हो जाता या फिर ओसारी में जाकर बीड़ी पीने लगता। पीछे सुखिया ....
