कोई सफर में रहे अपने हमसफर को कैसे याद करता है इसका पता हमें समकालीन कथाकार निर्मला जैन की आलोचनात्मक कृति ‘कथा समय में तीन हमसफर’ से चलता है। याद करती हैं जब वे अपनी उन पुरखिनों को जिनके संग चलकर उन्हें बुनती-गुनती रहीं। हिंदी साहित्य के समकालीन आलोचकों में विशेष पहचान रखने वाली कथाकार निर्मला जैन का जन्म 28 अक्टूबर 1932 को दिल्ली के एक व्यापारी परिवार में हुआ। हिंदी स....
