खगेन्द्र ठाकुर ने लिखा है कि ‘दौड़ लघु उपन्यास है, लेकिन आकार में ही लघु है, यह कथा, कथ्य, चरित्र, शिल्प, शैली और भाषा आदि के समन्वित रूप में यह आज की एक महान रचना है।’
ममता कालिया कहती है कि भूमंडलीकरण और उत्तर औद्योगिक समाज ने इक्कीसवी सदी में युवा वर्ग के सामने एकदम नए ढंग के रोज़गार और नौकरी के रास्ते खोल दिए हैं। एक समय था जब हर विद्यार्थी का एक ही सपना थ....
