जयनंदन

आज वर्जिन जैसा शब्द बेमानी हो गया है

अपूर्व जी हमेशा अपने संपादकीय में विचारोत्तेजक मुद्दे उठाते हैं जिन पर बहस की अपार गुंजाइशें समाहित रहती हैं। इस बार उन्होंने सिलबट्टा के बहाने स्त्री विमर्श पर कई कोणों से जो टिप्पणियां की हैं, उन पर एक अर्से से विमर्श होता चला आ रहा है। उन्होंने कहा है कि देह संरचना के स्तर पर अपनी बात ईमानदारी से कह पाना निश्चित ही जोखिम भरा है। उनका यह कहना सही है कि जोखिम है, लेकिन य....

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