डॉ. रंजना जायसवाल

"थर्ड जेंडर"

"जुग जुग जियसु ललनवा, भवनवा के भाग जागल हो,

ललना लाल होइये, कुलवा के दीपक मनवा में आस लागल हो।।"

ढोलक की तेज थाप और तालियों  की लयबद्धता गाने को और भी सुरीला बना रही थी।धीरे-धीरे आवाज और पास आती चली गई।नूपुर उस आवाज की ओर खीची चली गई और छज्जे पर आ कर खड़ी हो गई।

"बेटा!!... शुक्ला जी का घर कौन सा है।"

एक अधेड़ सी महिला ने ....

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