मंझली काकी और सब
कामों के तरह ही करतीं
हैं, नहाने का काम और
बैठ जातीं हैं, शीशे के सामने
चीरने अपनी माँग..
और अपनी माँग को भर
लेतीं हैं, भखरा सेंदुर से, ..
भक..भक...
और
फ....
पूरा पढ़े
पूरा देखें
हिन्दी साहित्य की पत्रिकाओं की भीड़ में अलग पहचान बनाने वाली 'पाखी' का प्रकाशन सितंबर, 2008 से नियमित जारी है।