भूमिका द्विवेदी अश्क

‘तुम अपना रंज-ओ-गम अपनी परेशानी मुझे दे दो---’

 


एक टीस, एक खला, एक वीराना, एक वहशत, एक अनीच्छित उदासी, एक बहुत गहरा अकेलापन और साथ में अनंत प्यारी यादें, अनोखा मोहब्बत से जज्ब संसार, अपरिमित अहसासात, अप्रत्याशित जगत-व्यापार बहुत, बहुत और बहुत कुछ है जो नीलाभ जाते हुए मेरे लिए सहेज गए हैं।   
आज तीन साल पूरे गुजर गए जब नीलाभ ने सुबह सवेरे, अपने कंप्यूटर-सेट के आगे बैठकर मुझे पुकारा नहीं, ओ लाडली बेगम, ....

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