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एक उनींदी रात में
नन्हीं बेटी के ठंडे पैर
अपने हाथों में रखकर
ऊष्म करता हूं
और मेरी जीवन ऊर्जा
न जाने कैसे
विराट हो जाती है
मैं अनुभव करता हूं
कि भोर मेरे ये हाथ
फैल जाएंगे
मै सूर्य से ऊष्मा लेकर
पृथ्वी तक पहुंचाऊंगा
पृथ्वी हो जाएगी
एक छोटा अंडा
और मेरे हाथ
शतुरमुर्ग के परों से ....
