मोबाईल की घंटी जैसे ही फिर से बजी तो राजीव ने उसे बंद करके कुर्सी पर फेंक दिया और फिर खिड़की से बाहर देखने लगा। आवाज से बेबी काॅट में लेटे बच्चे ने होठों को सिकोड़ा, थोड़ा कुनमुनाया,ज़रा सा मुस्कुराया और फिर निश्चिन्त होकर गहरी नींद में सो गया। कमरे में एक बार फिर सन्नाटा पसर गया। सन्नाटा जैसे कोई भयानक सा जानवर हो, जो अपना शरीर फैलाता ही जा रहा था। कमरे के फर्श, दीवारों, पंलग सो....
