होना तो ये चाहिए था कि नए साल में प्रवेश करते समय हम खुश होते, भावी योजनाएं बनाते हुए कुछ नए संकल्प लेते और सबसे बड़ी बात हम आशावाद से लबालब भरे होते। हमें विश्वास होता कि हम सही रास्ते पर हैं और हमारे अंदर आगे बढ़ने का जोश हिलोरें मार रहा होता। ये भी कि आज नहीं तो कल मंज़िल भी मिल ही जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। हर तरफ ....
