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बंद दुकान में पड़े-पड़े झंडे कुनमुना रहे थे। पीपल के रंग का झंडा बोला, ‘भोत हो गई भिया। तड़प रिये हैं जोशीले युवाओं के हाथों में जाने को। हम यूं पड़े रहेंगे तो अपने वाले जोश और ताकत दिखाएंगे कैसे? अपने नेताओं को मुद्दा कैसे मिलेगा?’
पके पपीते के रंगवाला कसमसाते हुए बोला, ‘हमें कम मत समझो। हम भी बेचैन हो रिये हे। रैली, नारों के बिना क्या जीना? हमारे युवा तुमसे ....
